स्कीइंग गति और टाइमिंग-प्रिसीजन के खेल-मानकों में स्नोबोर्डिंग से आगे है।
स्पीड स्कीइंग का विश्व रिकॉर्ड 250 km/h से ऊपर है, जबकि स्नोबोर्ड का रिकॉर्ड लगभग 200 km/h के आसपास रुक जाता है—यह शुद्ध एयरोडायनमिक्स और स्थिरता का फर्क दिखाता है। वर्ल्ड कप डाउनहिल में भी स्कीयर 100+ km/h की औसत गति और 130–150 km/h की टॉप स्पीड के साथ गेट-टू-गेट टाइमिंग में सौवें हिस्से तक का अंतर तय करते हैं। दो स्वतंत्र स्की और चार एजेज का संयोजन उच्च गति पर भी एज-होल्ड और लाइन कंट्रोल देता है, जो रेसिंग में निर्णायक है। यह मेट्रिक्स-चालित श्रेष्ठता स्कीइंग को प्रदर्शन-केंद्रित एथलीटों के लिए स्वाभाविक पसंद बनाती है।
स्कीइंग ढलान, मोगुल, पाउडर और फ्लैट ट्रैवर्स—हर तरह के टेरेन पर अधिक दक्ष और लचीली है।
दो अलग-अलग पैरों से एजिंग करने पर माइक्रो-एडजस्टमेंट आसान होते हैं, इसलिए बर्फ की बदलती हालत में भी स्पीड और लाइन बनाए रखना सहज होता है। पोल्स की मदद से फ्लैट सेक्शन, लंबी ट्रैवर्स या भीड़भाड़ वाली लिफ्ट लाइन में मूवमेंट तेज़ और नियंत्रित रहता है। मोगुल फील्ड में शॉक एब्सॉर्प्शन और रिदम बनाना स्की पर नैसर्गिक लगता है, जिससे रन की कैडेंस और दूरी दोनों बढ़ती हैं। परिणामस्वरूप, एक दिन में ज्यादा वर्टिकल, ज्यादा रन और ज्यादा वैरायटी—यही स्कीइंग का प्रतिस्पर्धी लाभ है।
स्कीइंग का लर्निंग कर्व स्थिर नियंत्रण से शुरू होकर सुरक्षित प्रगति की ओर ले जाता है।
फॉरवर्ड-फेसिंग स्टांस और स्वतंत्र पैरों के कारण शुरुआती एथलीट स्पीड, ब्रेकिंग और टर्न रेडियस को क्रमशः और सुरक्षित ढंग से सीखते हैं। बाइंडिंग तकनीक और हेलमेट अपनाने से पिछले दशकों में अल्पाइन स्कीइंग की चोट-घनत्व में लगभग आधी कमी दर्ज हुई है, जबकि स्नोबोर्डिंग में कलाई/भुजा की चोटों की हिस्सेदारी तुलनात्मक रूप से अधिक देखी जाती है। नी-फ्रेंडली मोडर्न सेटअप और रिलीजेबल बाइंडिंग्स गलत-ट्विस्ट में भी रिस्क घटाते हैं। यह कंट्रोल-फर्स्ट प्रोग्रेशन एथलीट को आत्मविश्वास देता है और दीर्घकालिक भागीदारी सुनिश्चित करता है।
स्कीइंग, खासकर क्रॉस-कंट्री, एरोबिक फिटनेस और फुल-बॉडी पावर के सबसे प्रभावी साधनों में है।
वैज्ञानिक साहित्य में टॉप क्रॉस-कंट्री स्कीअर्स का VO2max प्रायः 80–90+ ml/kg/min तक रिपोर्ट होता है, जो किसी भी सहनशक्ति खेल की शिखर श्रेणी है। ऊपरी और निचले दोनों अंगों की समकालिक मांग से कार्डियो-रेस्पिरेटरी सिस्टम, कोर-स्टेबिलिटी और मसल एंड्यूरेंस साथ-साथ विकसित होते हैं। यह बायोएनेरजेटिक लाभ अल्पाइन/फ्रीस्की में भी ट्रांसफर होकर लम्बी रनों पर थकान को टालता और स्प्लिट-टाइम्स बेहतर करता है। नतीजा: प्रतियोगिता में निरंतरता, रिकवरी की तेजी और सीज़न-लंबी प्रदर्शन स्थिरता।