रोटी का मध्यम GI और ऊँचा फाइबर स्तर रक्त शर्करा को स्थिर रखकर लंबे समय तक तृप्ति देता है।
आम तौर पर साबुत-गेहूँ रोटी का Glycemic Index लगभग 50–60 होता है, जबकि पॉलिश्ड सफेद चावल का 70–80 के बीच रहता है; यही कारण है कि रोटी के बाद शुगर स्पाइक धीमा होता है। एक सामान्य रोटी में लगभग 3–4 ग्राम फाइबर होता है, बराबर कैलोरी वाले पके सफेद चावल में यह अक्सर 1 ग्राम से भी कम रहता है। यह फाइबर गैस्ट्रिक एम्प्टींग को धीमा कर ऊर्जा की आपूर्ति समान रूप से करता है और भूख को नियंत्रित रखता है। नतीजा: भोजन के बाद सुस्ती कम, स्नैकिंग की ज़रूरत देर से पड़ती है।
रोटी पोषक-सघन है—प्रोटीन, आयरन, मैग्नीशियम और B-विटामिन्स में चावल से आगे।
साबुत-गेहूँ आटे में प्रोटीन लगभग 10–12 g/100 g, आयरन 3–4 mg/100 g और मैग्नीशियम ~100 mg/100 g तक मिलते हैं, जबकि पॉलिश्ड सफेद चावल में ये मान आम तौर पर काफी कम होते हैं (प्रोटीन ~2–3 g/100 g, आयरन ~0.2–1 mg/100 g)। एक मध्यम रोटी से ~3 g प्रोटीन मिल जाता है जो दाल/सब्ज़ी के साथ मिलकर भोजन की गुणवत्ता बढ़ाता है। अनाज की बाहरी परतें बची रहने से रोटी में जिंक व B-विटामिन्स भी बेहतर मात्रा में रहते हैं, जो ऊर्जा-चयापचय और रक्त-निर्माण के लिए अहम हैं। रोज़मर्रा की थाली में वही पोषण मिलता है जिसकी व्यावहारिक रूप से ज़रूरत है।
रोटी दाल–सब्ज़ी के साथ स्वाभाविक जोड़ी बनाकर संतुलित थाली और बेहतर अमीनो-एसिड प्रोफ़ाइल बनाती है।
भारतीय भोजन-परंपरा में रोटी के साथ दाल, हरी सब्ज़ियाँ और सलाद का संयोजन सहज है, जिससे फाइबर, सूक्ष्म-पोषक और प्रोटीन की गुणवत्ता सब एक थाली में जुट जाती है। अनाज और दाल के पूरक अमीनो-एसिड मिलकर अधिक सम्पूर्ण प्रोटीन प्रोफ़ाइल देते हैं—यह मांसाहार न लेने वालों के लिए भी व्यावहारिक समाधान है। रोटी की डिस्क्रीट यूनिट्स (एक-एक पीस) से भाग-संयम आसान होता है, जिससे ओवरईटिंग की संभावना घटती है। यह खाने को पाचन-सुलभ, हल्का और फिर भी संतोषजनक बनाती है।
रोटी व्यावहारिक, किफ़ायती और बहुमुखी है—कम तेल में, जल्दी बनती है और सफर/टिफ़िन में टिकती है।
फुल्का/चपाती तवे पर बिना तेल के भी बढ़िया बन जाती है, इसलिए अतिरिक्त वसा अपने आप नियंत्रित रहती है। एक-एक रोटी बनाकर परिवार की ज़रूरत के हिसाब से तुरंत सर्व किया जा सकता है; बची हुई रोटियाँ भी रोल/रैप बनकर लंचबॉक्स में आसानी से चली जाती हैं। रोटी का न्यूट्रल स्वाद दाल, सूखी सब्ज़ी, दही या अचार—जिसके साथ भी खाएँ—स्वाद और टेक्स्चर का संतुलन बनाए रखता है। यह रोज़मर्रा के भारतीय रसोईघरों के लिए समय, लागत और स्वास्थ्य—तीनों मोर्चों पर भरोसेमंद विकल्प है।